भारत के इतिहास में 26 नवंबर 2008 का दिन कभी नहीं भुलाया जा सकता। यह वही दिन था जब मुंबई ने आतंक की वहशी तस्वीर देखी थी। इस आतंकी हमले में 166 निर्दोष लोगों की जान गई और सैकड़ों घायल हुए। अब, लगभग 17 साल बाद, इस हमले से जुड़े एक बड़े मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा को भारत लाया जा रहा है। यह भारत की आतंक के खिलाफ जंग में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है।
कौन है तहव्वुर राणा?
तहव्वुर राणा एक पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है, जो पेशे से डॉक्टर रहा है। वह अमेरिका में बसे एक व्यापारी के रूप में काम करता था, लेकिन उसके संबंध लश्कर-ए-तैयबा और डेविड हेडली जैसे आतंकियों से थे। तहव्वुर राणा पर आरोप है कि उसने 26/11 हमले की योजना बनाने और उसे अंजाम तक पहुंचाने में मदद की।
2009 में अमेरिका में उसे गिरफ्तार किया गया और 2011 में शिकागो की एक अदालत ने उसे आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में दोषी ठहराया। उसे 14 साल की सजा सुनाई गई, लेकिन अब भारत ने उसके प्रत्यर्पण की मांग की है ताकि उस पर यहां भी मुकदमा चलाया जा सके।
अमेरिका से प्रत्यर्पण: भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत
भारत सरकार ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के लिए कई वर्षों तक कानूनी लड़ाई लड़ी। अमेरिका की एक निचली अदालत ने 2023 में प्रत्यर्पण को मंज़ूरी दी थी, लेकिन राणा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर दी। हाल ही में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा की याचिका को खारिज कर दिया, जिससे अब उसका भारत आना तय हो गया है।
यह भारत के लिए एक कूटनीतिक और कानूनी जीत है, जो यह साबित करती है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ कोई समझौता नहीं करेगा, चाहे आरोपी दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न हो।
भारत में राणा पर क्या कार्रवाई होगी?
जैसे ही तहव्वुर राणा भारत पहुंचेगा, उसे सबसे पहले राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) अपनी हिरासत में लेगी। जांच एजेंसियां उससे 26/11 हमलों से जुड़ी कई अनसुलझी कड़ियों को जोड़ने की कोशिश करेंगी। माना जा रहा है कि राणा के पास ऐसे कई राज़ हैं, जिनसे न केवल 26/11 की साजिश की गहराई को समझा जा सकेगा, बल्कि पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क की भी परतें खुल सकती हैं।
NIA ने पहले ही राणा के खिलाफ एक मामला दर्ज कर रखा है और अब उसे भारतीय कानूनों के तहत न्याय की प्रक्रिया से गुजरना होगा।
सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम
दिल्ली और मुंबई की जेलों में तहव्वुर राणा के लिए विशेष सुरक्षा इंतज़ाम किए जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, उसे फिलहाल दिल्ली लाया जाएगा और वहां से मुंबई शिफ्ट किया जा सकता है, जहां हमले हुए थे। उसकी सुरक्षा को लेकर कोई भी चूक नहीं की जाएगी क्योंकि उसकी जान को कई संगठनों से खतरा हो सकता है।
देश में प्रतिक्रिया: न्याय की ओर एक और कदम
देश भर में तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की खबर को सकारात्मक रूप में देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इसे “न्याय की दिशा में एक और कदम” बताया है। 26/11 में अपने प्रियजनों को खोने वाले परिवारों के लिए यह खबर राहत की तरह है। हालांकि वे अपनों को वापस नहीं पा सकते, लेकिन उन्हें अब यह भरोसा है कि दोषियों को उनके किए की सजा ज़रूर मिलेगी।
निष्कर्ष
तहव्वुर राणा का भारत प्रत्यर्पण न केवल 26/11 हमलों के पीड़ितों के लिए एक आशा की किरण है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि आतंकवाद चाहे जितना भी संगठित या अंतरराष्ट्रीय क्यों न हो, अंततः न्याय की जीत होती है। भारत की यह कार्रवाई यह दर्शाती है कि देश आतंक के खिलाफ हर स्तर पर कार्रवाई करने को तैयार है और इसके लिए वह किसी भी सीमा तक जा सकता है।
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